Thursday, December 8, 2016

कितने झूठ तुमने बना रखे है

कितने झूठ तुमने बना रखे हैं! लड़का बड़ा होगा, शादी होगी, बच्चे होंगे, धन कमाएगा, यश पाएगा, और तुम मर रहे हो! और तुम्हारे बाप भी ऐसे ही मरे, कि तुम बड़े होओगे, कि शादी होगी, कि धन कमाओगे। और तुम्हारा लड़का भी ऐसे ही मरेगा। जिंदगी बड़ी भरी-पूरी जा रही है!

बाप बेटे के लिए मर जाता है। बेटा अपने बेटे के लिए मर जाता है। ऐसा एक-दूसरे पर मरते चले जाते हैं। कोई जीता नहीं। मरना इतना आसान, जीना इतना कठिन!

लोग सोचते हैं, मौत बड़ी दुस्तर है। गलत सोचते हैं। मौत में क्या दुस्तरता है? क्षण में मर जाते हो। जिंदगी दुस्तर है। सत्तर साल जीना होता है। और बिना झूठ के तुम जीना नहीं जानते हो, तो तुम हजार तरह के झूठ खड़े कर लेते हो--यश, पद, प्रतिष्ठा, सफलता, धन।

जब इनसे चुक जाते हो तो धर्म, मोक्ष, स्वर्ग, परमात्मा, आत्मा, ध्यान, समाधि। पर तुम कुछ न कुछ...ताकि अपने को भरे रखो। और ध्यान रखना, बुद्ध का सारा जोर झूठ से खाली हो जाने पर है। सत्य से भरना थोड़े ही पड़ता है। झूठ से खाली हुए तो जो शेष रह जाता है, वही सत्य है। गयी बीमारी, जो बचा वही स्वास्थ्य है।

ओशो🌺🌺🌺

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